The smart Trick of hindi story That Nobody is Discussing
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एक गाँव में सावित्री नाम की एक बच्ची अपने माता ापिता और तीन भाइयों के साथ रहती थी। एक दिन, सावित्री के माता पिता तीर्थ यात्रा पर चले गए। माता पिता के जाने के बाद तीनो भाइयों ने सावित्री को परेशान करना शुरुर कर दिया।
बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था। मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।
साधु की पुत्री - हितोपदेश की प्रेरक कहानियां
(एक) जब तक गाड़ी नहीं चली थी, बलराज जैसे नशे में था। यह शोर-गुल से भरी दुनिया उसे एक निरर्थक तमाशे के समान जान पड़ती थी। प्रकृति उस दिन उग्र रूप धारण किए हुए थी। लाहौर का स्टेशन। रात के साढ़े नौ बजे। कराची एक्सप्रेस जिस प्लेटफ़ार्म पर खड़ी थी, वहाँ चन्द्रगुप्त विद्यालंकार
उन दिनों मैं बी.ए. फाइनल इयर में थी। मम्मी, पापा को छोड़कर वेदांत अंकल के साथ ही रहने लगी थी। महीने-दो-महीने में वह इधर का एक चक्कर लगाती और मुझसे मिलकर चली जाती। जहां तक मैं जानती थी, मम्मी-पापा में अलगाव का कारण सेक्स ही था
चारों तरफ से सियारों ने सुरसिंह को नोच-नोच कर जख्मी कर दिया था।
वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।
सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।
सिंह राज ने देखते ही देखते सभी सियारों को खदेड़ दिया। जिसके कारण उसके मित्र सुरसिंह की जान बच सकी
अँधियारे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गई। दीवार का सहारा लेकर उसने लैंप की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बेडौल फटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नंबर कमरे से लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाज़ा खटखटाया। निर्मल वर्मा
is a renowned Hindi poem prepared from the legendary Indian poet Harivansh Rai Bachchan. It translates to “The home of Wine,” and the poem is a metaphorical exploration of everyday living’s journey throughout the allegory of a tavern. In this literary masterpiece, Bachchan makes use of the metaphor of a tavern to symbolise the various phases and experiences of existence. The verses are full of symbolism, touching on themes of Pleasure, sorrow, enjoy, as well check here as the transient character of existence.
यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।
वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद
लेकिन ख़ुद सोचें कि क्या इसी कहानी में यह वाक्य कमतर था :